VIP कल्चर अब होगा खत्म, टोल प्लाजा के नए नियम लागू; हाईवे से हटेंगे ये होर्डिंग
नई दिल्ली । VIP कल्चर पर सरकार (government on culture)एक बार फिर मार करने की तैयारी(Preparation) कर रही है। अब खबर है कि राष्ट्रीय राजमार्गों(national highways) पर लगे उन होर्डिंग(hoardings) को हटाने की योजना (removal plan)है, जिसमें टोल टैक्स से छूट हासिल करने वाले लोगों के नाम लिखे होते हैं। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन संभावनाएं जताई जा रही हैं कि नई सरकार इस पर प्राथमिकता से फैसला ले सकती है।
खबर है कि बीते सप्ताह हुई सचिव स्तर की बैठक में यह सुझाव पेश किया गया है। ऐसा करने के लिए सरकार के सिर्फ एनएच फी रूल्स में ही संशोधन करना होगा। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि ऐसे होर्डिंग्स का बहुत ज्यादा मतलब नहीं है और जनता के रुपयों का दुरुपयोग है।
उन्होंने कहा कि इसकी वजह से की टोल प्लाजा पर जिन लोगों को छूट मिलने का अधिकार है, उनके वाहनों को सरकार ने पहले ही ‘एग्जेम्प्टेड’ FASTags उपलब्ध करा दिए हैं। साथ ही ऐसी सूची देखने में भी कुछ ही लोगों की दिलचस्पी होती है कि किसे टोल टैक्स से छूट मिलने का अधिकार है। खास बात है कि NHAI छूट हासिल वाहनों के लिए एक लेन तैयार करने पर भी विचार कर रहा है।
क्या हैं मौजूदा नियम
मौजूदा नियमों के तहत हाईवे अथॉरिटी को हिंदी और अंग्रेजी में 22 गणमान्यों के नाम टोल प्लाजा के 1 किमी पहले प्रदर्शित करने होते हैं, जिनके वाहनों को छूट दी गई है। साथ ही अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में टोल प्लाजा से 500 मीटर की दूरी पर भी नाम प्रदर्शित करने होते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सूत्र बताते हैं कि की बार जब अधिकारी और VIPs निजी वाहनों में सफर करते हुए छूट की मांग करते हैं, तो टोल संचालकों के साथ उनकी कहासुनी के भी मामले देखे गए हैं।
किसने पहली बार उठाया मुद्दा?
जयपुर के रहने वाले पृथ्वी सिंह कंधल ने पहली बार NHAI के सामने जनता के रुपयों के गलत इस्तेमाल का मुद्दा उठाया था। साथ ही उन्होंने मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी पत्र लिखा था। उन्होंने लिखा था, ‘ये साइन सिर्फ हमारा VIP कल्चर ही नहीं दिखाते, बल्कि सरकार की तरफ से जनता के रुपयों की बर्बादी भी दिखाते हैं…।’
उन्होंने आगे लिखा, ‘जिन लोगों को टोल देने से छूट मिली है, वे इसे जानते हैं क्योंकि सरकार ने उनके दफ्तरों को जानकारी दी है। जो VIPs नहीं हैं या गणमान्य नहीं हैं, वे जानते हैं कि उनका नाम वहां नहीं लिखा है।’
उन्होंने लिखा था, ‘मैंने उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप, चीन और ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की है। मैंने कभी ऐसे बड़े-बड़े साइन नहीं देखे। आमतौर
पर सभी VIPs टोल देते हैं, रसीद हासिल करते हैं और फिर यात्रा का खर्च दिखाकर उस राशि को हासिल करते हैं। वहां VIP कल्चर नहीं है।’ nazartak